Akash Srivastava

Akash Shrivastava, enrolled as an advocate in Bar Council of Uttar Pradesh with degree in B.Com and LL.B from the University of Lucknow. Expertise in corporate sector and revenue-related matters.
lex-o-pedia
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 41 प्रत्यक्ष हस्तांतरण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 41 प्रत्यक्ष स्वामी के सिद्धांत को स्थापित करती है। यह निर्दोष खरीदारों को सुरक्षा प्रदान करती है, बशर्ते उन्होंने उचित सावधानी बरती हो और हस्तांतरण सप्रतिफल हो। इससे संपत्ति लेन-देन में स्थिरता आती है।
lex-o-pedia
क्या संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के अंतर्गत कपटपूर्ण अंतरण (Fraudulent Transfer) को मान्यता दी जाती है?
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 53 के तहत यदि हस्तांतरण लेनदारों को धोखा देने या उनके दावे विफल करने के उद्देश्य से किया गया हो, तो यह शून्यकरणीय होगा। सद्भावनापूर्वक और प्रतिफल के लिए किए गए हस्तांतरण इस नियम से अपवाद हैं।
संपत्ति कानून में सशर्त हस्तांतरण क्या है?
lex-o-pedia
संपत्ति कानून में सशर्त हस्तांतरण क्या है?
संपत्ति कानून में सशर्त हस्तांतरण का तात्पर्य ऐसे लेनदेन से है, जो किसी शर्त की पूर्ति पर निर्भर करते हैं। शर्तें वैध, कानूनी, नैतिक और संभव होनी चाहिए। यह अवधारणा संपत्ति लेनदेन को विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार ढालने में सहायक है।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत क्या अजन्मे व्यक्ति के लाभ के लिए हस्तांतरण संभव है?
lex-o-pedia
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत क्या अजन्मे व्यक्ति के लाभ के लिए हस्तांतरण संभव है?
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 13 अजन्मे व्यक्ति के लाभ के लिए संपत्ति हस्तांतरण की अनुमति देती है। इसके तहत, संपत्ति में पूर्विक जीवन हित सृजित होना चाहिए, और अजन्मे व्यक्ति को पूर्ण हित केवल उसके जन्म के बाद ही प्राप्त होता है।
चल एवं अचल संपत्ति का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
lex-o-pedia
चल एवं अचल संपत्ति का अर्थ एवं परिभाषा क्या है?
चल संपत्ति वह होती है जिसे स्थानांतरित किया जा सकता है, जैसे वाहन, मशीनरी आदि, जबकि अचल संपत्ति स्थायी होती है और स्थानांतरित नहीं की जा सकती, जैसे भूमि, भवन। संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 इन संपत्तियों के अधिकार और लेनदेन को नियंत्रित करता है।
हस्तांतरणीय और गैर-हस्तांतरणीय संपत्ति क्या होती है?
lex-o-pedia
हस्तांतरणीय और गैर-हस्तांतरणीय संपत्ति क्या होती है?
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भारत में संपत्ति के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है। यह हस्तांतरणीय और गैर-हस्तांतरणीय संपत्ति को परिभाषित करता है और वैध हस्तांतरण के लिए सहमति, कानूनी क्षमता, और संपत्ति की पहचान जैसी शर्तों को निर्धारित करता है।
संपत्ति हस्तांतरण की अवधारणा क्या है?
lex-o-pedia
संपत्ति हस्तांतरण की अवधारणा क्या है?
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 संपत्ति के अंतरण की प्रक्रिया, नियम, और पक्षकारों के अधिकार-कर्तव्यों को स्पष्ट करता है। यह स्थावर व जंगम संपत्तियों के अंतरण को विनियमित कर पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। संशोधन से अद्यतन बना रहता है।
What is Malicious Prosecution under the Law of Tort?
lex-o-pedia
What is Malicious Prosecution under the Law of Tort?
Malicious prosecution under tort law involves initiating legal proceedings with malice and without probable cause. Key elements include lack of reasonable cause, malice, favorable termination for the plaintiff, and resulting damages, ensuring protection from legal abuse.
Legal Maxim: Novus Actus Interveniens
glossary
Legal Maxim: Novus Actus Interveniens
Novus Actus Interveniens is a legal doctrine that breaks the chain of causation, relieving a defendant of liability when an unforeseeable, independent act intervenes between their action and the resulting harm.
Independent and Joint Tortfeasors
lex-o-pedia
Independent and Joint Tortfeasors
In tort law, joint tortfeasors are individuals who collectively cause harm, sharing full liability, while independent tortfeasors act separately, each bearing responsibility only for their actions. Indian courts, lacking specific statutory guidance, rely on common law to distinguish between them. Jo
General Defences under Tort
lex-o-pedia
General Defences under Tort
General defences in tort law allow a defendant to avoid liability despite the occurrence of a tort, based on specific legal justifications. These defences, such as volenti non fit injuria (consent to risk), inevitable accident, and statutory authority, balance fairness by protecting individuals from
Capacity to sue and Capacity to be sued in Torts
lex-o-pedia
Capacity to sue and Capacity to be sued in Torts
The concept of capacity to sue and be sued in tort law defines who can initiate or defend against a civil suit for wrongful acts. While generally all individuals possess this right, certain exceptions exist based on legal disabilities, such as minors, lunatics, foreign sovereigns, and corporations.
Or
Powered by Lit Law
New Chat
Sources

Ask AI